Thursday, 15 December 2011

सच और झूठ और हम इन्सान

मेरे एक दोस्त ने कुछ दीनो पहले अपने Gmail पे एक लाइन कुछ इस तरह की लिखी :

"Telling a lie and hiding a truth are two different things...."

बात सही है , झूठ बोलना और किसी सच्चाई को छुपाना दोनों बिलकुल अलग अलग सी बात है ! और यह भी एक सच बात है के सच और झूठ दोनों ही कितना भी छुपा लो एक न एक दिन सामने आ ही जाते है !
कुछ लोग झूठ बोल के सोचते है के चलो मुसीबत टली, या सोच लेते है के जब झूठ बोलने से काम हो सकता है तो बोलने में क्या हर्ज़ है !  लेकिन यहाँ भी सोचने वाली बात है के एक झूठ वोह होता है जिस को बोल के आप नेक काम को अंजाम देते है , और दूसरा जब उस झूठ से किसी को दर्द पहुचे या नुक्सान हो !

हम लोग कही न कही , कभी न कभी झूठ हमेशा बोलते है , इन्सान है ना - गलतियों के पुतले है तो ऐसा कोई नहीं जिसने गलती ना की हो और फिर उस गलती के लिए झूठ न बोला हो !

लेकिन जैसा के मेरे दोस्त ने ऊपर लिखा और बोला के झूठ बोलना और सच छुपाना दोनों अलग बात है ! आपने गलती की लेकिन आप उस ग़लती का एहसास करते हुए भी कुछ बोल नहीं सकते, या फिर बोले के आपकी मजबूरी है के आप सच नहीं बोल सकते पर लोग आपको गलत ही कहेंगे , और आप उनकी नज़र में झूठे किस्म के इन्सान होंगे !

और आप पुरे मकसद से सोच समझ के झूठ बोल रहे है ताकि कुछ गलत होने से बचे, वो भी झूठ बोलने में नहीं आता जैसा के श्री कृष्ण ने कहा गीता में :

"किसी की भलाई के लिए सोच समझ के कहा गया झूठ , कोई पाप नहीं  है "

लेकिन, अपनी महत्वकांक्षा को पूरा करने के लिए किसी को नुकसान पहुचाना, आपके बोलने से किसी को जिसने कुछ नहीं किया हो वो सजा का हक़दार बने, यह झूठ पाप है और गलत भी !

मेरी ऊपर की बातों को पढ़ के कुछ लोग अपने ऊपर जरुर लेंगे और जहा जहा उन लोगो को लगेगा, वही कोई न कोई कही हुई बात अपने ऊपर लेकर यह सिद्ध करने की कोशिश करते रहेंगे के :

"उन्होंने भी कोई सचाई किसी से छुपाई नहीं , लेकिन कुछ उनकी मज़बूरी थी जिसके वज़ह से पूरी बात या बोले के सच बोल भी नहीं पाए "

जोह ऐसा सोचते होंगे में उनको एक बात बता दू, सच बोलने के लिए बहुत हिम्मत चाहिए होती है, क्योंकि सच बोलने का परिणाम सोच के ही इन्सान झूठ बोलने का रास्ता अपनाता है ! इन्सान को लगता है के कही सच बोल दिया तोह उसका बना बनाया काम ना बिगड़ जाए, या कोई उस से दूर न हो जाये , या वो अकेला न हो जाए !
पर यह भी एक सच है के सच का सामना करना और फिर से उस गलती की तरफ ना देखना , जिसके लिए आपको सचे होने का प्रमाण देना पड़ा , वो उस से भी मुश्किल काम है !

लोग गलतियाँ करते है फिर जब लगता है तो झूठ बोलके संभल जाते है या फिर सच तोह बोलते है लेकिन उसका पछतावा न तो उनके जह्हन में आता और नाही आगे के लिए सोचते ! जिंदगी है आगे चलनी है अभी का समय निकलना जरुरी है इसलिए बस उस वक़्त तक के लिए बात जैसे तैसे संभल जाए यही सोचते है !

सच बोलके उस रस्ते पे चलना बहुत मुश्किल काम है इन्सान के लिए !

झूठ बोलना बहुत आसन !

और अपनी भलाई के लिए सच छुपाना चलता है पर दुसरे का नुकसान ना हो, उसके लिए सच पचाना शायद इन्सान के लिए मुश्किल होता है !

कही न कही मेरे दोस्त की कही हुई बात सही लगती है और कही न कही उसका कोई अर्थ निकल के सामने नहीं आता !

लोग दुहाई देते रहेते है के सच बोलने की सजा मिली उन्हें जीवन भर , लेकिन कोई उन्हें यह समझाए के सच बोलने से काम नहीं चलता जीवन भर उस सच के पीछे जो भी वज़ह है उसको महसूस करके उस रास्ते पे नहीं चलना शायद ज्यादा जरुरी है ! जोह वोह कभी कर नहीं पाए , गलतियाँ दोहराई , तब कही झूठ बोला खुद्द से , दूसरों से , या फिर आधा -अधुरा सच बोलके अपने जीवन को संभाला !
जब सच ही आधा अधुरा बोला तो दिल में दीमाग में  उसकी कदर क्या रहेगी , जब दिल से उस सच का एहसास हुआ नहीं तो वो तुम्हे कौनसी ख़ुशी देगा , और तुम ऐसा सच बोलके एस जीवन से , किसी इन्सान से या बोलो के अपने ज़मीर से कैसे उम्मीद कर सकते हो के आपको ख़ुशी मिले !

झूठ बोलना और सच को छुपाना दोनों अलग बात है यह उन् लोगो पर प्रमाणित होती है जिनको एहसास है के उनका झूठ किसी का नुक्सान नहीं होने देगा या उनका सच छुपाना किसी गलत चीज़ को बढ़ावा नहीं देगा और उस सच को छुपाने से किसी का भला ही हो रहा है ! जो यह नहीं सोचते के जिस दिन सच सामने आएगा उस दिन क्या होगा और उन्हें शर्मिंदा होना पड़ेगा , लेकिन वोह यह बात जानते है के एक दिन उन्हें फक्र से अपनी बात समझाने का मौका भी मिलेगा और लोग उनकी इस गलती पर भी फक्र करेंगे ! उन् से बेशक लोग दो पल के लिए दूर हो जाए लेकिन एक दिन उनकी सचाई सामने आने के बाद सब उनके साथ होंगे !








Monday, 12 December 2011

ज्योतिष शास्त्र और हमारी सोच और समाज ....


हमारा  ये  समाज   बहुत सी  कुरीतियों  से  और  बहुत  कम  अच्छाइयों  से  घिरा  है  , ये  सबको  मालूम  है  पर कोई  ना  तो  इससे  इस  दलदल  से  निकलना  चाहता  है  और  न  ही  कोई  ये  चाहता  है के  ये  कुछ  गंदगी  समाज  से  हटे !

क्योंकि  कईओं  की  ज़िन्दगी  अच्छाईओं  से  कम  पर  बुराईओं से जयादा  चलती है  ! आज  मेरे  इस  ब्लॉग  पे  मैं  इक  ऐसे   ही  शास्त्र  की  बात  उठाई  है  , जो  अपने आप  में  बहुत  पवित्र  है  और  इसके  ज्ञान  करता  जानते  है  के  यह  कितना  कहा उपयोगी  हो  सकता  है  ! लेकिन  आज  हर  गली  मोहल्ले में  आपको  इसका  सर्वोच्छ  ज्ञानी देखने  को  मिलेंगे !

जो  अपने  जीवन  व्यापन  के  लिए  इस  शास्त्रा  का  गलत  उपयोग भी  कर  रहा  है  और  ना  जाने  क्यों  समाज का  शिक्षित  वर्ग  पढ़ा  लिखा  होके  भी अन्पड़ो की तरह  इससे  अपनाये  जा  रहा  है  !
मैंने  कुछ  दीनो  पहले  न्यूज़ पपेर्स  में  चनेल्स  पे  देखा  के अमिताभ  जी  , जो  के  अपने  घर  के  आने  वाले  चिराग  के  बारे  में  सोच  सोच  के  अंदर से  उत्साहित  है , उनका  घर  परिवार  इस  खुश  खबरी  से  महक  रहा  है , जो  माँ बन  ने  वाली  है  वो  इस  का  आनंद  और  सबसे  बड़ा  सम्मान  पाने  को  तेयार  है  , वो  माँ  जो  अपने बेटे  का  बचपंन  अब  अपने  घर  के  नए  फूल  में  फिर  से  देखने वाली है  , वो  इन्सान  जो  आज  एक  जिम्मेदार  बेटे  , पति  और  अब  बाप  बन  ने  का गौरव  महसूस  करने  जा  रहा  है , वह  कुछ  एक  तरफ  धन  –संपदा -ख्याति  पाने के  लिए  कुछ  लोग  , जो  इस  धरा  पे  अभी आया  भी  नहीं  उसके  बारे  में  कई  तरह की भविष्यवानिया कर  रहे  है  !
आपको  ज्ञान  है  आप  इस  शास्त्रा  में  शिक्षित  है  पर  आपको यह  हक  नहीं  बनता  के  आप  इसका  उपयोग  इस  तरह  से करे , खुले  बाज़ार  !
वो  जान  जो  अभी  धरा  पे  भी  नहीं  आई  , वो  अगर  ये  सुन्न लेती  तो  भगवान्  से  यही  पूछती  के  में  क्या  हु , कौन  हु , क्यों  मुझे  यहाँ  भेजा जा रहा  है  , जहा  मेरे  आने  से  पहले  ही मेरी  तकदीर  पढ़ी  जा  रही  है  , मेरा वजूद  घड़ा  जा  रहा  है !
ऐसे लोगो  को  कोई  नहीं  रोकेगा  , लेकिन  बड़े  धयान  से  इन्हे   सुना  जाता  है ! बड़ी  लगन  से  आज  कल  TV पे  इनके  प्रोग्राम आते  है  उसमे  सब  काम  छोड़  के  लोग  घुस  के  बैठ  जाते  है , और  अपने  कर्मो  की रेखाओं  को  इनकी  बातों  से  टटोलते  रहेते  है  !
दूसरी  तरफ  जहा  अमिताभ  जी , इन  लोगो  से  ट्विट्टर  पर  नाराज़ हो  रहे  थे , वही  कुछ  दीनो  के  बाद  सब  कुछ  पूरण  हो  गया  ! और  एक  नयी खबर  फिर  छपी ,
आमिर  और  उनके  होने वाले  बेटे  में  कभी  नहीं  बनेगी
अब  बोलिए , क्या  कहा  जाये  , ये  शास्त्री  है  या   मूढ़  लोग , जिन्हें  अपने  बारे  में  अपने  आने  वाले  पल  के  बारे  में  नहीं  पता  वो  लोग  किरण  राव और  आमिर  को  देख  के  अपने  दीर्घ  ज्ञान  से  ये  भविष्यवाणी  कर  रहे  है  !
आज  के  इस  दौर  में  किसको  ये  नहीं  पता  के  आज  बाप  से  दस कदम  आगे  उसका  बेटा  हमेशा  ही  आगे होता  है ! इसमे  नयी  बात  क्या  है  जो सार्वजनिक  तोर  पे  लिखी  और  बोली  जा रही है  !
हम  हमारे  एतिहास , साहित्य  और  कवियों  की  पोरानिक  रचनाओ को  पढ़े  तोह  पता  लगेगा  के  कही  क्कुह  बदला  है  और  कही  कुछ !
त्रेता  युग  में  राजा  दशरथ  की  तीन  रानियाँ  थी  लेकिन  उनके बड़े  बेटे  का  एक  सिद्धान्त  आज  शायद  किसी  के  जह्हन्न  में  भी  नहीं  
एक  पत्नी  एक  वचन  – सूर्यवंशी  ”
तब  क्या  ज्योतिष  शास्त्र  नहीं  थी  , उस  वक़्त  किसी  ने  ऐसा नहीं  बोला  होगा  न  तोह  राजा  दशरथ  के  पिता  को  और  नाही  राजा  दशरथ  को  के उनका  बेटा  वीर , योधा  और  ज्ञानी  होने  के  साथ  साथ  ऐसे  वचनों  का  पालन  भी करेगा  और  आपके  गुणों  को  देखते  हुए   आपसे किन्ही  दो  तीन  चीज़ों  में  कम  होगा !
क्योंकि उस  समय  में  सही  दिशा  सही  मार्ग  इस ज्ञान  ज्योति  से  दिए  जाते  थे  , नाकि ऐसे  विचार  पेश  करके !
ये  संस्कार  थे  और  ज्ञान  जो  गुरु  जनों   से  मिला , और  वो  “मर्यादा  पुर्र्शोत्तम   राम  ” कहेलाये .
उस  वक़्त  भी  ज्योतिष  शास्त्रा  था  , भगवान्  राम  और  सीता मईया  की  कुण्डलिया  भी  देखि  गयी  थी  36/36 गुण  भी  मिलाये  गए  थे , पर शास्त्र  इतना  बलवान  नही  था  के  उनके  14 साल  के  बनवास  को  होने  से  रोक पाया हो !
ऐसा  नहीं  था  के उस  वक़्त  इस  शास्त्र  के  ज्ञानी  नहीं  थे , या  किसी  को  इसकी  पहचान  नहीं  थी , में  जहा  तक  समझ  ता  हूँ  आज  के  इन  मूढ़ ज्ञानिओं  से  तो  उस  वक़्त  कई  कई  महान  ज्ञानी  बैठेंगे  होंगे , जिन्होंने भगवान्  राम  और  सीता  मईया  की  कुण्डलिया  भी  बनायीं  होंगी  !
लेकिन  वो  भी  उस  बनवास  को  नहीं  रोक  पाए  और  नाही  ये किसी  को  बता  पाए  के  उनके  विवाह  में  बहुत  बड़ी  समस्या  आने  वाली  है   ! पर  वो  समस्या  आई  और  बस  उस  समय  से एक  बात  लिखित  करदी  गयी , अंकित  कर दी  गयी …..
36/36 गुण  हो  भी तो विवाह  न  करे  
ये  किसी  ने  नहीं  सोचा  के  वो  विवाह  जिन  दो  लोगो  के  बीच हुआ  उनके  बीच  ऐसा  कोई  मत  भेद  नहीं  हुआ  के  जिस  की  वज़ह  से  यह  नियम  निकाल  दिया  गया  के  36/36 मिलने  पे  भी  शादी  करना  उचित  नहीं  !
उस  बनवास  में  किसी  का हित  छुपा  था  जिसका  विरोध  भी  हुआ और  जिसके  के  लिए  किया  गया  वोह  भरत  जैसा  भाई  आज  न  देख  ने  को  मिलता  है  न सुन्न  ने को  !


माता  कैकयी  की  महत्वकांक्षा  ने  उस  14 साल  के  बनवास  को आज  ऐसी  सचाई  बना  दिया  के  लोग  36/36 गुण  मिलने  पे  भी  आगे  नहीं  बढ़ पाते  क्योंकि  ऐसे  लोग  बढ़ने  नहीं  देते ! एतिहास  और  ज्योतिषी  को  मिला  के  कुछ का  कुछ  करवा  देते  है !
एक  समय  था  जब  इस  ज्ञान का उपयोग  इन्सान  के  जीवन  में चल  रही  उथल पथल  को  जान  ने  और  उसका  समाधान  खोज  के  देने  के  लिए  किया जाता  था  !
इस  ज्ञान  के  ऊपर  एक  और  शक्ति  है , जो  ये  दुनिया  चला रही  है  , भगवान्  राम  के  हाथों  रावन  का  वध  होना  श्रृष्टि  में लिखा  था  , सो  ये  रचना  खुद्द  ऊपर  वाले  ने  रची  ! वियोग  न  होता  तोह  रावन  दुष्कर्मो  मैं ना  आता  और  नाही  उसका  वध  होता  !

पर इन शास्त्रियों ने तर्क -वितर्क कर कर के , इस शास्त्रा का रूप और इसकी रेखा ही बदल डाली !
हंसी भी आती है तो दुःख भी ,के ये लोग ख्याति और संपदा पाने के लिए किस हद्द तक जा सकते है !
चलो एक घडी मान भी ले के भगवान् राम और सीता मईया के गुण जैसे हो वैसे नहीं होने चाहिए , वरना वियोग की स्तिथि बन्न सकती है !
लेकिन आज समाज में लोग शादियाँ करते है और करवाते है, समाज एक होना चाहिए , गोत्र अलग होने चाहिए , और कुंडलियों का मिलन होना चाहिए, कम से कम 18-30 तक के गुण मिलने चाहिए और भी बहुत सी “Terms and Conditions”.
में पूछता हूँ के जब आप पढ़े लिखे लोग यह सब कुछ करते हो देखते हो, इन ज्ञानिओं की बातों को सच मानते हो तो फिर इन सवालों का उत्तर भी इन्ही लोगो से दिलवादो :

a ) कुण्डलियाँ देखने के बाद भी 100% में से आज के ज़माने में 45% लडकियां और लड़के अपना परिवार क्यूँ नहीं संभाल पाते ?

b ) क्यों 50% लडकियां सब कुछ अच्छा होने के बाद भी दुखों और कई तरह के अत्याचारों से झूझती रहेती है ?

c ) सब कुछ दीखाने और करवाने के बाद भी लोगों को जीवन के हर स्तर पर जिंदगी के हालतों से झूझना क्यों पड़ता है ?

d ) क्यों आप लोग किसी फूटपाथ पे रह रहे गरीब की किस्मत बता के उसको उसकी अच्छी ज़िन्दगी का समाधान नहीं देते ?

e ) आप लोगो को उचे स्तर के लोगों से ही इतना प्यार क्यूँ होता है के बस उनके अच्छे कर्मो की घोषणा करते हो , गलत कर्मो की क्यूँ नहीं ?

f ) अगर आप ज्ञानी है तो सबके सामने अपने आने वाले पल की घोषणा करे के , अपने सही होने का प्रमाण क्यों नहीं देते ?

इस शास्त्रा को गलत कहेना सही नहीं होगा लेकिन इसका उपयोग जो लोग कर रहे है उनको इस चीज़ को समझना चाहिए के ये समाधान देता है भाविश्यवानी नहीं करता ! भविष्यवाणी करने का हक सिर्फ उस  ऊपर वाले को है किसी इन्सान को नहीं, अगर किसी इन्सान को भी है तो वो करोड़ों में एक होता है जिसे ऊपर वाले ने अपनी रहेमत से नवाज़ा होता है ! मुझे और आपको, आप सबको ये मालूम है के किस्मत में अगर "Collector" बन ना लिखा है तो में तभी बनुगा जब में उसके लिए प्रयत्नशील रहूँ ! आपको सबको ये भी मालूम होगा के हमारे यहाँ लड़का या लड़की के मांगलिक होने पे विवाह संभव नहीं माना जाता !लेकिन यहाँ में एक ऐसी हस्ती की ज़िन्दगी पे प्रकाश डालना चाहूँगा ! उनका नाम है  “ऐश्वर्या रॉय बच्चन "! ये खुद्द मांगलिक है और इनके मंगल होने के संकेत सार्वजनिक रूप से इन्ही लोगो ने घोषित भी किये थे, उसके विपरीत घटनाओं के होने के संकेत भी दे डाले थे , लेकिन अमिताभ जी  जो आज अपने समाज में और इस देश में एक उच्च स्थान पर विराजमान है , कई दिलो से उनके लिए दुआ निकलती है , उन्होंने सारी बातों को नज़रंदाज़ करते हुए इस विध्या का सही उपयोग किया और सही तरीके से इसका उपयोग करते हुए, अपने बेटे अभिषेक की शादी ऐश्वर्या से करवाई और इस मूढ़ समाज के सामने , इन पढ़े लिखे अनपढ़ लोगो के सामने के उदहारण दिया के सही ज्ञान होने से ,सही मार्गदर्शक साथ में होने से, ऊपर वाले का साथ और उस पे भरोसा होने से इन्सान के लिए कोई भी काम और कोई भी चीज़ उतनी भयावय नहीं ! आज सब कुछ सही चल रहा है सब कुछ ठीक है परिवार खेल रहा है हंस रहा है बढ़ रहा है ,हमको ख़ुशी है और लाखों और करोड़ों दिल यही दुआ मांगते है के यह परिवार और इस परिवार का मुखिया हमेशा खुश रहे !

ऐसा ही दूसरा उदहारण है “दस का दम 2”, जब मंच पे सलमान के साथ कंगना रानौत और एक ज्योतिष महोदय आये थे , उन्होंने कंगना को देख के सभ कुछ अच्छा बोल डाला , के आने वाला समय ख्याति, यश, संपदा अर्जित करने का होगा, विवाह का योग है etc. लेकिन खुद का यह नहीं देख पाए के 10 crore लेके जा सकता हूँ के नहीं  और  सबके सामने बोले भी थे जब सलमान ने पूछा था,
धन लक्ष्मी का योग बना हुआ है 
पर हुआ क्या , साइड वाले सोफे पे जाके चुप्प चाप से बेठ गए! अब क्या बोले ऐसे लोगों के बारे में ! लेकिन आज भी कई लोगो को इस तरह की मूढ़ता से गुजरना पड़ता है ! कही जगह गलत ज्ञान लेने से घर परिवार भिखर जाते है और कही इसी की बदोलत कई लोग जो आपस में अच्छे से जी सकते है वोह सदियों के लिए एक दुसरे से दूर हो जाते है !
ज्योतिष शास्त्र एक बड़ा , महान और सच्चा शास्त्र है, ये किसी का भविष्य निर्र्धारण नहीं कर सकता, ये मुश्किलों के समाधान बता सकता है, तकलीफों के उपचार दे सकता है !
इसके सही मार्गदर्शक बहुत कम आपको मिलेंगे लेकिन ज़िन्दगी मेहनत, लगन , और अच्छे विचारों से जी जाती है, कर्म अच्छे हो तो सब अच्छा होता है! ऊपर वाले से बड़ा खिलाडी इस दुनिया में न तो कोई शास्त्रा है और नहीं कोई इन्सान!

Wednesday, 7 December 2011

Sawaal ban ke khada hai yeh "KYUN"....




 नूर तेरी आँखों का ,
खवाबों में आता है क्यूँ !

                                     स्पर्श तेरी गहरी नज़रों का,
                                     मुझे सताता है क्यूँ !

तुझसे तुझे ही सुनो तो, लगता है ,
कोई तेरे पास आना चाहता है क्यूँ !

                                      आँखें है मेरी पर ख्वाब है तेरे ,
                                      मेरे ख्वाब कोई चुराना चाहता है क्यूँ !

जब मेरी तकदीर है तू ,
मुझसे कोई तुझे छिनना चाहता है क्यूँ !

                                      सवाल है जिन्दाज़ी मेरी ,
                                      उसका जवाब बनी सिर्फ तू !
                                      फिर दिल जवाब पाना चाहता है क्यूँ !

पैमाने पीने छोड़ दिए मैंने पर,
आसुओं का तेरा पैमाना ,दिल पीना चाहता है क्यूँ !

                                     तेरे होंठों पर मुस्कुराहट लाना चाहता है ,
                                     मेरी बातों से उदासी छा जाती है क्यूँ !

हर सवाल का जवाब है मेरे पास ,
लेकिन , सवाल बन के दिल में  बसा है तुझसे जुड़ा हर क्यूँ !


Zindagi Aur Rishton Ke Mayne....

आज की ज़िन्दगी  फास्ट है दौड़ती हुए, थम ने का मतलब है के आप इस  दुनिया में सबसे पीछे रहेने वाले इन्सान होंगे !

सबकी सोच आज आगे बढ़ने की है, चाहे सही हो या गलत, लेकिन अगर इस  ज़िन्दगी को कामयाबी तक ले जाना है तो रास्ते से जयादा उसपे चलने की सोच  होनी जरुरी है ! सोच होगी तो रास्ता सही है या गलत इससे ज़िन्दगी और कामयाबी दोनों को कोई मतलब नहीं !

लोगों को जब देखता हूँ अपने आस पास तो देख के लगता है के "ये लोग कामयाब होने के लिए, खुद्द से संतुष्ट होने के लिए, अपनी ज़िन्दगी को आराम दायक बना ने के लिए किसी भी हद्द तक जा सकते है " !

हर जगह कुछ न कुछ , कोई न कोई गलत कर रहा है पर उसका उसके इमान पे कोई फर्क नहीं ! मालूम होते हुए भी लोग दूसरों को अपनी कामयाबी की सीढ़ी बनाते है , कईओं को दर्द देके, दुःख देके अपना सपना पूरा करने की बस जुगत में लगे रहते है !

कुछ लोगों का कहेना होता है के फिल्म सिर्फ मनोरंजम का साधन है बस और कुछ नहीं, इन से कुछ सीखा नहीं जा सकता ! लेकिन शायद वो कहेते वक़्त यह भूल जाते है के फिल्म किसी न किसी के जीवन को दर्शाती जरुर है ! इन्सान किसी की ज़िन्दगी देख बोर ना हो यह सोच के उसमे मनोरंजन के तत्व डाले जाते है ! ऐसा ही कुछ आज के समाज को फिल्मों के कुछ समझाने की कोशिश की है  के जिसको कामयाब होना है आज की दुनिया में एक भाई अपने भाई का बुरा सोच लेता है , दोस्ती के नाम पर दगा और फरेब कदम कदम पर इन रिश्तों को खोखला साबित करते जा रहे है , प्यार का नाम आज एक महत्वकांक्षा है , जिसने  धोका, फरेब , झूठ सबकी हद्दे तोड़ डाली है !

कुछ दीनो पहेले रुपहेले पर्दे पैर एक हिंदी फिल्म आई थी , "प्यार का पंचनामा " ! कौन कैसे किसका कहा उपयोग कर रहा है , अपनी जरूरतें पूरी कर रहा है २:३० घंटे में देखने को मिला ! कौन कैसे अपनी जरुरत के लिए कहा एक को इस्तमाल करती है , कोई अपनी जिंदगी में जोह बोरियत है उसको दूर करने के लिए ताके बेचैन दिल को कुछ रहत मिले उसके लिए , कोई अपने ऑफिस में , जिंदगी में रोज़मर्रा के काम और आगे निकलने के लिए !यहाँ प्यार के अनोखे तरीके देखने को मिले और जो बात हमे ऊपर कही वोह कही ना कही सही साबित होती है !

जब कभी ऐसी बात होती है लोग बोलते है के "अरे यार फिल्म है अस्स्लियत थोड़ी ना है " ! ऐसा मैंने तब सुना जब एक जोड़ा , यह फिल्म देख के निकला और लड़की / लड़के ने बड़ी सी हंसी चेहरे पे लेते हुए अपने साथी लड़की/लड़के  से पुछा और फिर बड़े प्यार से उसके दिल का भोज हल्का कर डाला "क्या यार तुम्हे तो मुझपे इतना भी ट्रस्ट नहीं , शौना ऐसा कभी ना सोचना "! और कुछ दीनो बाद पता चलता है के .......

"बड़ा सा विराम !"

"बागबान " में जो  माँ बाप अपना सब कुछ देके , बच्चो से अपने लिए कुछ उम्मीद करते है उन्हें कही या तो बेटों की दुत्कार मिलती है कही जिसको बड़े अरमानो से लाये थे उन् बहुओं की कडवी बातें सुन्न नि पड़ती है ! माँ बाप जब तक सफलता ना मिल जाए तब तक एक सीढ़ी होते है , फिर खाली सुनसान से रास्ते बन्न जाते है , जिन्ह पे चलना आज की ऊची सोच रखने वालो को पसंद नहीं !

"लव दोस्ती etc." कैसे एक दोस्त दुसरें को धोका देता है कैसे एक प्यार फरेब की सीमा पार कर देता है !

यह कुछ फिल्मे प्यार को साथ लेके जो भी रहा हो हर उस धोके को दीखाती है जिनमे ज़िन्दगी को कामयाब बनाने के लिए, ज़िन्दगी को  कुछ आरामदायक बनाने के लिए  , एक संतुष्टि पूरी करने के लिए किये गए हर तरीके को समझाया है !

हम अपने आस पास नज़र घुमा के द्खेंगे तो हमे एक नहीं ना जाने कितने दीख जायेंगे! हमारी सोसाइटी में, हमारे ऑफिस में , हमारे क्लास रूम में , हमारे साथ जो हेमशा रहेते है उन् में !

हर जगह आज यही है इसके अलावा और कुछ देखेगा भी नहीं !

सच्चे साथ आज चाहे दोस्ती हो , प्यार हो , या परिवार कोई भी मात्र सिर्फ कहेने को मिलेंगे , कुछ ३०-३५ % बाकी तो आज सिर्फ

"लाशों पे पैर रख के , आगे बढ़ने का जमाना , सोच है ,
कामयाबी हासिल करने के लिए, किसी भी हद्द तक जा सकते है लोग  "

रिश्तों का कोई नाम नहीं है , कोई वजूद नहीं है , कोई गवाह नहीं है , ज़िन्दगी की कोई एहेमियत नहीं है , न ही ज़िन्दगी जिन एहसासों से जी जाती है वो अब आज सिर्फ मज़ाक और मनोरंजन के साधन है  !

जिंदगी और इसमे रिश्तों के आज कोई मायने नहीं ........ सब खाली है एक दौड़ है बस !


Tuesday, 6 December 2011

Pyaar Ki Dooriyaan.....

रात की गहेरयेओं में भी सफ़र चलता है ,
दिन के उजाले भी किसी को होसला देते है
लेकिन थम जाते है वो लोग जो,
तन्हाई को दिल से लगा लेते है !

                                                         होसलों का बुलंद होना जरुरी है
                                                         जिंदगी में थोडा दर्द होना जरुरी है
                                                         दम उन्ही इंसानों में होता है
                                                         जो दर्द को सीने से लगा लेते है !

प्यार का मतलब सब गलत लेते है
प्यार में दूरियों को कोई नहीं पहचानता
प्यार किस्मत में होता है जो,
दूरियों को दिल से लगा लेते है !

Kyun....

क्या हुआ , जो आँखों में नींद नहीं है ,
क्या हुआ , अगर आंसूं साथ में नहीं है !
क्या हुआ , अगर प्याले में शराब नहीं है !
                               क्यूँ ऐसा लगता है ,
                               आज मेरी सांसें मेरे साथ नहीं है !


क्या हुआ , अगर कोई सपनों में आती रही है ,
क्या हुआ , अगर कोई मुझे चाहती नहीं है !
क्या हुआ , अगर ग़मों की काली घटा छाती रही है !
                                क्यूँ ऐसा लगता है ,
                                आज मेरी किस्मत मेरे साथ नहीं है !


प्यार में अगर हम जीते नहीं,
तो हार ने का गम बनाये क्यूँ !


                                 चाहते तो है दिलों जान से उसे,
                                 बताना चाहे तो बताये क्यूँ !

वो भी किसी से इकरार करेगी ,
किस्मत में नहीं है तो सताए क्यूँ !

                                 चाह कर भी पाना चाहते है उसे ,
                                 भुलाना चाहे तो भुलाये क्यूँ !

किस्मत पे अपनी नाज़ है मुझे ,
बेवफा जिंदगी पे नाज़ जताए क्यूँ !

                                 आज नहीं तो कल आएगी,
                                 इन्सान इतने भी गलत नहीं, पर
                                 बुलाना चाहे तोह बुलाये क्यूँ !


                                 
                

Monday, 5 December 2011

Achhayeeon ke Sabut jab maange....................

दूर हुए जब तुम मुझसे ,
खो सी गई मनो हस्ती मेरी !

                                   सर उठा के सवाल जो पूछा आसमा से,
                                   जवाब मिला यही तकदीर थी तेरी !

क्या बिगाड़ा था उस आसमा का,
अपनी अच्छाईओं के सबूत मांगे हमने !

                                  खुद्द की तलाश में, अपनी किताब के,
                                  पलट दिए बीते समय के पन्नें !

सबूतों की खोज में, हाथ लगी कुछ चंद परछाईं ,

तभी वक़्त का साया चिल्ला कर बोला,
क्यों दे रहा है सबूतों की दुहाई !

                                    आसमा ने भी गरज कर पुछा ,
                                    में किसी का नसीब कहा बिगाड़ता हूँ !

नज़रें उठा के देख जहां में,
तेरा ही नहीं , तेरे जैसे कई लोगों का ,
अपमान सहन में करता हूँ !

                                     एक कसक और दर्द से भरी आवाज़ ,
                                     में भी प्यार और ममता को तरसती हूँ !

मेरे सीने पर तुम्हारी क्र्रुता के निशा है गहरे ,
फिर भी , चुप्प रह कर भार तुम्हारा वहां करती हूँ !

                                     जरा नज़र झुका के देख मुझे,
                                     कई बार रौंधी गयी में वो धरती हूँ !

तुम जैसे लोगों की सुनवाई पर,
पल पल की मौत में मरती हूँ !

                                    
                                    तभी , कुदरत ने पूछा मुझसे ,
                                    क्या अच्छाईओं के सबूत मिल गए !

लगा मुझे, मैंने कभी कुछ खोया ही नहीं था ,
                इनके जवाबों से मेरे होंठ सील गए !..........मेरे होंठ सील गए !
                                          
                                  
                                  

Kahani Hirey Ki........

एक हीरे को थी एक जोहरी की तलाश,
जो उससे परखे और अपनी कला से सवारें !

                   घिरा हुआ था वो समाज की कालिख में,
                   बुरी कालिख से दबे हुए थे उसके चमकीले किनारे !

उस चमकीले हीरे को तराशने कई जोहरी आये,
खूब कोशिश की तराशने की ,
पर वो कालिख हटा नहीं पाए !

                   पत्थर समझ फेंक दिया गया , कालिख से भरी खान में,
                   तराशते रहे दूसरों को उसी की आँखों के सामने !

पूछ बेठा वो  अपने खुदा से ,
आखिर, क्यूँ नहीं हटती उस पर से कालिख !

                   जवाब मिला,
                   ऊपरी चम्काहट से आते  है ,
                   देख नहीं पाते,
                   तेरे तेज़ धार किनारे जो है बारीक !

तुझे उठाया जिन हाथों ने ,
कभी तो उनके हाथ चीर गए !
मैंने जो भेजे थे गिने चुने ,
वो दूसरों का हश्र देख पीछे हट गए !

                  विनम्र होके बोला हिरा ,
                  मेरा फिर तुमने क्या सोचा है ,
                  क्या में ऐसे ही कालिख में पड़ा रहूँगा ?

इंतजार कर उभरने का , चमकने का ,
तेरे लिए एक असाधारण सा जोहरी भेजूंगा !

                  एक दिन आया ,
                  वापस से उससे किसी ने अपने हाथों में उठाया,
                
उसके आने से कालिख हटी ,
बड़ी सुन्दरता और बदलने लगी उस,
हीरे की काया !

                  थोडा सा तराशना था बाकी,
                  इतंजार में बेठे थे उसके साथी हीरे !

शायद किस्मत में ना था उसके चमकना ,
जोहरी को चुरा ले गयी दुनिया की नज़रें !

                  उस असाधारण जोहरी की ,
                  हीरे को रहती बेतहा तमन्ना !

दुसरें हीरों की तरह ,
वो हिरा भी चाहता था चमकना !

                 वापस लौट गया वो उस कालिख में ,
                 छू ना सके उसे दूसरा कोई जोहरी ताकि !

उस जोहरी के लौटने का सपना ,
और खुद्द को चमकाने की उसमें , बस आस रही बाकी !



Wo Masum Sa Saaya......

अपनी नज़रों से, नज़रों में हमारी,  हमे गिराया  ,
हर बार दर्द देता रहा वो मासूम सा साया !

गिरते संभलते बस खुद्द को यही समझाया ,
गलत है  तू , सही है वो मासूम  सा साया !

कुछ चंद पलों के लिए ज़िन्दगी में आया ,
कई खिताबों से नवाज़ के गया , वो मासूम सा साया !

आईने से भी मेरे ज़मीर ने आज मुह छिपा लिया,
फरेबी समझ जब छोड़ गया , वो मासूम सा साया !

उस मासूमियत को खुदा रखे हमेशा बरक़रार ,
क़त्ल हुआ है आज मेरा, कल कोई और होगा तेयार  !

वो मासूम सा साया.....वो  मासूम सा साया.....
सच्चे साथ को शायद कभी तडपे, वो मासूम सा साया.....



Sunday, 4 December 2011

Mai nahi Zindagi Mujhe Alvida kaheti Rahi.......

आसमा की नफ़रत सहते सहते , तारे जब टूट जाते है,
आसमा उन्हें टूटने को नहीं कहेता, वो खुद्द अलविदा कहे जाते है !

उनका दर्द भी कुछ अजीब होता होगा, तभी तो कुछ बोलते नहीं ,
बस चुप्प रहे कर बिना बोले अपने मालिक का आँगन छोड़ जाते है !

संमुन्दर चाहे कितना भी दिखे शांत, लहरें उसकी किनारे डुबो देती है,
उसकी बेचैनी को समझे न समझे कोई, किनारे अलविदा कहे जाते है !

उन् किनारों पे क्या बीती होगी, लहेरों  को कोई वास्ता उनसे रहेता नहीं,
बस किनारे उसकी तड़प पे , अपने वजूद होने का निशाँ छोड़ जाते है !

जब राह पे चलते मुसाफिर , उस हसीं सफ़र को भूल जाते है ,
रास्ते उन्हें भूलने को नहीं कहेते , वो खुद अलविदा कहे जाते है !

ज़िन्दगी से मिलते जखम से उन् राहों को भी दर्द मिलता है ,
जब एक मुसाफिर दुसरे को उन् राहों पे अकेला छोड़ जाते  है !

शराबी से पैमानों को भी कभी शिकायत होती है जब शराब उसका दिल जलाती है ,
पैमाने  जाने को नहीं कहेते  , शराबी खुद्द अलविदा कहे जाते है !

दर्द दिल में समेटे शराबी पैमानों से उलझता रहेता है ,
साकी उठ, चले जाते है, और पैमाने उस साथी का इंतजार करते रहे जाते है !

अपने से ज्यादा अपने चाहने वालो का ख्याल रखे, यही ज़िन्दगी है ,
में हूँ और यह मुझे अपना  हर पहेलु और रंग दिखाती रही!
में इसे जीता रहा हर वोह दर्द सह कर, इससे कभी शिकायत की नहीं ,
बस, में नहीं ये ज़िन्दगी मुझे लम्हा लम्हा अलविदा कहेती रही !

Friday, 2 December 2011

LOVE......

प्यार से लोग नफ़रत क्यों करते है ?
प्यार होता क्या है ?
प्यार में हमेशा ज्यादा तर हार और नसीब में जीत कम क्यों होती है ?

प्यार यह एक ऐसा दिल का स्पर्श है जिसके गवाह बहुत ही थोड़े है ! ये एक ऐसा है जैसे किसी ने भगवान् को देखा तो यकीन करता है नहीं देखा तो नहीं करता ! हमारा समाज प्यार को गलत कहेता है ! उसके पीछे और उसके जिम्मेदार हम लोग ही है ! प्यार करने के लिए दिल का साफ़ होना बहुत ज़रूरी है जिसमे कोई भेद-भाव न हो, जिसमे मॉफ करने की शमता हो, जिसमे एक सामने वाले के लिए आदर - सम्मान हो, जिसमे पूरी निष्ठां हो, जिसमे दर्द सहेने का होसला हो, जिसमे सामने वाले की ख़ुशी सबसे बड़ी खुद्द की ख़ुशी हो, जिसमे त्याग करने की भावना हो, जिसमे कोई लेन- देने  की परिभाषा न हो, जिसमे सच्चाई को सुन्न ने और समझने की ताकत हो, जिसमे समर्पण भाव हो , जो किसी के रूप रंग , हाव भाव , बोल चाल , रहन सहन , ऊच- नीच से नहीं किया जाता , प्यार बदलाव नहीं वोह चाहता है जो उसका हक है , इन्ही सब से एक फीलिंग्स पनपती है और  वही प्यार है !

हम लोग प्यार करते है लेकिन उसके निभाने और सँभालने के वक़्त खुद पीछे हट जाते है ! और जब वोह प्यार टूट के बिखर जाता है, या कोई घाव बना देता है तो वोह एक शैतान के रूप में दीखाई देता है ! हमे उस से नफरत होने लगती है !

कई लोगो का कहेना होता है के प्यार में  उन्हें धोका मिला , जो यह कहेते है वो क्या यह नहीं जानते  की यह फीलिंग्स किसी के चाहे न चाहने से नहीं आती, यह दिल से उठ ती है और फिर आगे बढ़ के किसी को अपना ती है ! जब यह फीलिंग्स किसी रिश्ते का नाम लेती है तोह यह भी जान ना जरुरी होता है के कोई भी रिश्ता खुद बा खुद पनप नहीं सकता नाही टूट सकता है ! किसी भी रिश्ते की नीवं या मजबूत बुनियाद उस रिश्ते मे बंधे दो लोगों के कारन होती है !

लोग शायद भूल जाते है के ताली दो हाथ उठा के आपस में टकराने से बजती है !

प्यार में धोखा जो लोग देते है या जिन्हें मिलता है वहा कही  प्यार नहीं रहेता , वहा प्यार के नाम पे जरुरत रहेती है! और उस जगह जब दिमाग के अनुसार जरुरत पूरी हो जाए लोग धोखा खा जाते है ! धोखा खाए हुए लोग उस जरुरत को प्यार का नाम देके, इस नायब से एहसास को नफ़रत के दलदल मे फेक देते है !

प्यार में दुसरे तरीके का धोखा  लोगो को तब मिलता है जब दो प्यार करें वालो के दिल के बीच दिमाग का खेला चालू होता है ! जब  दिल पर दीमाग  हावी होने लगता है तब जोह कुछ दीनो तक प्यारा लगता था वोह धीरे धीरे गलतियों का पुतला नज़र आता है , जोह सबसे अच्छा दोस्त हुआ करता था वोह ज़िन्दगी जीने के हर कदम के साथ पराया और पराया सा महसूस होने लगता है ! फिर एक दिन वही होता है जिसके लिए भगवान् ने इन्सान को शक्तिशाली दीमाग दिया है , उसकी बदोलत एक दुसरे से अलगाव और फिर से प्यार लोगो की नफ़रत कारन बनता है, लोग कहेते है तब के  "चार दिन की चाँदनी फिर वही अंधेरी रात "!

कई लोग प्यार के ना होने पे भी प्यार को नफ़रत की सूली पे चढ़ा देते है ! कई लोगो का प्यार एक तरफ़ा होता है , जिसमे सामने वाले को यह पता नहीं होता के उससे कोई पसंद करता है उसपे कोई जी जान से मरता है ! जब आपने कभी कहा नहीं  स्समने वाले को कुछ बताया नहीं अपनी फीलिंग्स पूरे साफ़ दिल से मनन से बोली नहीं तोह आप उम्मीद कैसे करते हो के सामने वाला आपको समझे और आपको अपनाले बिना कुछ जाने ! जब वोह ज़िन्दगी से दूर चला जाता है तब फिर से लोग खुद के साथ बेवकूफियों से भरा काम करके प्यारा को समाज मे शर्मिंदा करते है !

लोगों को प्यार की कहानिया पढ़ के उसे अपनी ज़िन्दगी मे उतरने का शौक है लेकिन उस प्यार के पीछे के दर्द, समर्पण और निष्ठां को अपना न उन्हें नामुमकिन सा दीखता है !

कई लोगो से कहेते सुना है के प्यार मे देवदास हो गए , अरे उन् लोगो को एक बार पूछो के उस किताबी देवदास ने कम से कम प्यार के उस अनोखे चरित्र को तो बताया है वोह तड़प वोह कशिश वोह दर्द को तो समझाया है , लेकिन तुम उस किताब से बिलकुल परे हो उन् कहानीयों से बिलकुल लगा अपनी ज़िन्दगी मे हो, तो क्या आप लोगो को वोह महसूस नहीं होता , अगर होता है तो दिल को साफ़ रख के अपने प्यार को पुकारो, अपना हाथ बढाओ, वो अगर दूर जाता भी होगा तोह लौट के आएगा, अगर वोह कठोर दिल है तो एक दिन तुम्हे समझेगा तुम्हारे प्यार को समझेगा !

लेकिन उसके लिए "अपने प्यार के प्रति सम्मान , नेक विचार और निष्ठां " होंनी चाहिए ! प्यार को दबा ढका के रखो यह अपनी महक सदियों तक फेला ता रहेगा और आप - आप का प्यार हमेशा सर उठा के, शान से आपके दिल me जिंदा रहेगा ! अब चाहे वोह आपका हुआ के नहीं यह बातें आपको उस वक़्त शायद बेमानी भी लगेंगी !

मेरी नज़र में प्यार और माँ की ममता एक बराबर है ! लोग कहते है और कुछ मेरी ऐसी बातों का मज़ाक उड़ाते है, लेकिन वोह यह सोच के नहीं देखते के माँ की ममता में हर वोह चीज़ है जोह उसे महान बनती है ! क्योंकि माँ दिल से सोचती है दीमाग से नहीं! जो लोग मेरी इन  बातों का मजाक बनाते है या हसते है , शायद वो लोग प्यार में दिल से जयादा दिमाग का उपयोग करते है !

कुछ लोग कहेते है माँ की ममता से प्यार को मत जोड़ो, दोनों एक दुसरे के विपरीत है ! प्यार को इजहार करने के कई सही तरीके भी है तोह कई गलत तरीके भी है , इसलिए यह माँ की ममता से बहुत परे है !

लेकिन उनसे यह पूछो के प्यार के तरीको से माँ की ममता और उसकी समानता का क्या रिश्ता ! दोनों एक ही तरह की फीलिंग्स है जोह दिल से निकलती है और दोनों में दिल और नियत का साफ़ होना बहुत जरुरी है !वोह लोग यह भूल जाते है के वोह अपना दीमाग लगाये बिना कोई रिश्ता चला नहीं सकते इसलिए प्यार को ममता से जोड़  नहीं सकते !

आज के जमाने में प्यार और प्यार के नाम पे विश्वास दोनों ही नहीं है! एक जमाना था ७०-८० के दशक का, जब प्यार सिर्फ हर रिश्ते हर दिल में  हुआ करता था ! प्यार के नाम पे लोग हर उस चीज़ का सम्मान करते थे जोह उन्हें आपस में  जोड़े रखता था ! दो लोग प्यार करते थे लेकिन एक सीमा में रहे कर, प्यार को जग जाहिर करना बेमानी लगता था ! लोग प्यार का इजहार अनोखे अंदाज़ से किया करते थे !
 उस प्यार की महक आज तक हम अपने घर परिवारों में  अपने बड़े बुजुर्गो को देख के महसूस कर सकते है ! एक बिन दूसरा अधुरा !

स्वतंत्र  भारत का पहला  प्यार जब हुआ होगा, तोह कैसा हुआ होगा , किस तरह से हुआ होगा, कितने लोगो ने उसको देखा होगा, कितनी मुसीबतें उसने झेली होंगी , यह सब ख्याल उस प्यार के प्रति एक सम्मान जह्हन में लेके आते है !

आज के प्यार के मायने अलग है जिन्हें हमारी यहाँ की हिंदी फिल्मे भी दिखाती है! बहुत खूबसूरती से जिन्होंने आज के प्यार के मतलब को समझाया है ! और गोर से देखे तो हमारे बीच में ही प्यार के ऐसे कई उदहारण देखने को मिलेंगे !

सच्चा प्यार किसी के कुछ सोचने का मोहताज़ नहीं होता है ! उसको सिर्फ खुद्द से लगाव होता है ! बाकी किसी चीज़ से नहीं , आप किसी को सच्चा प्यार करते है तोह आपके दिल में उसके लिए कभी कुछ गलत नहीं आएगा, आप हमेशा उसको खुश रखने की कोशिश करेंगे, उसका हर दर्द आपको अपना महसूस होगा , उसका हर दुःख आपको उतना ही रुलाएगा जितना सामने वाला रोया होगा , आपको उसकी कमी सब के होने के बावजूद  भी महसूस होगी !

लेकिन एक बात और बहुत जरुरी है अगर आपके प्यार को कोई एहसान लेके चलता है और आप पे उसका कोई एहसान चाहता है तो शायद वो प्यार नहीं वो सिर्फ आपके साथ किया जा रहा एक समझोता है और कुछ नहीं !
ऐसे प्यार की बुनियाद सिर्फ समझोता होती है कुछ लोग अपने प्यार के मिलने के लिए करते है और कुछ अपने किये का कोई पश्चाताप करने के लिए ! अगर आप का प्यार का सच्चा है तोह उसमे कोई समझोता नहीं होगा जब तक के सामने वाले को आपके प्यार का एहसास नहीं होता ! जब तक दिल से किसी के लिए कोई जज़्बात नहीं उमड़े तब तक उस प्यार का अर्थ शून्य है !

ज़िन्दगी में प्यार बहुत से लोगो को सिर्फ एक बार नसीब होता है और कई लोगों को यह ज़िन्दगी बार बार प्यार का हसीं चेहरा दिखाती रहेती है ! कुछ लोग शायद अपने पहले प्यार को हमेशा संजोह के रखते है और कुछ लोग पहले प्यार को भुलाने में समझदारी दिखाते है !संजोह के रखा गया प्यार आपको उम्र भर उसकी खुशबू से महकाता रहेता है और जो प्यार भुलाने में समझदारी हो वो आपको हमेशा आपकी की हुई गलतियों से रूबरू करवाता रहेता है

जिन लोगों को यह प्यार ज़िन्दगी बार बार दिखाती है वोह कभी इसकी एहमियत नहीं समझते और उन् लोगो पे यह बात कुछ इस तरह सच होती है के  " लड़की / लड़का , बस , ट्रेन इसका कभी इंतजार मत करना ! क्योकि एक निकल जाए तो दूसरी आने का इंतजार करना " !

ऐसे लोग हमेशा प्यार के लिए तरसते रहे जाते है और सच्चा प्यार उन्हें कब छु के निकल जाता है उनको भी कभी उसका पता नहीं चलता और आखिर में जाके उनपे एक बात सही साबित होती है कुछ ऐसे :

"चाहे जो तुम्हे पूरे दिल से , मिलता है वो मुश्किल से , ऐसा जो कोई कही है , बस वो ही सबसे हसीं है !
  उस हाथ को तुम थाम लो , वोह मेहरबान कल हो न हो !"

बस प्यार को करना आसान है लेकिन उससे पूरी शिद्दत के साथ जीना , गलत होते हुए भी उसको अपना ना , उसको  हर कदम हर वक़्त निभाना शायद सबसे मुश्किल काम है और इसलिए प्यार सिर्फ किताबों में  अच्छा लगता है आज की दुनिया में सिर्फ फरेब, जरूरत  और मक्कारी के अलावा इसका और कोई नाम देना न तोह समझदारी है और ना ही किसी से उस प्यार के वास्ते उम्मीद लगा के बेठना होशियारी !

लेकी जिस दिन इस दुनिया के लोग अपना मनन साफ़ करके इससे सच्चे दिल से अपनाएंगे उस दिन इसका रुतबा शायद खुदाई से भी बढ़ के निकले , क्योंकि खुदाई में हम उस ऊपर वाले का साथ मांगते है जो है दीखता नहीं, और प्यार में हमे एक ऐसा साथ मिलता है जो हमारे हर सुख -दुःख का बराबर का हिस्सेदार होता है , जिसके लिए कोई चीज़ उसकी ख़ुशी से ऊपर नहीं होती जिसको आप अपनी जान से ज्यादा प्यार करते हो करीब मानते हो !


प्यार को समझाना और समझना दोनों की मुश्किल है , इसलिए करो तभी जब खुद्द पे यकीन हो वरना इस सबसे बड़े मजहब का नाम मत ख़राब करो ....मत करो !
To be continue...........(After certain Break)

Jindagi Kuch yeh hai aaj ki .......

आज जिंदगी की असलियत क्या है ? जीना किसको बोलते है ? आज इन्सान कौन है ? आज किसके लिए दिल से आदर निकल ता है ? कौन है जो एक "Role Model " है  ?

ये सब सवाल कही न कही किसी न किसी के जह्हन में उठता जरुर होगा ! और एस सवाल के बेतहा जवाब इस दुनिया से निकल के बाहर आते होंगे !

आज जिंदगी की असलियत कुछ हद्द तक दिखावे की है! कह  सकते है के "Showcase" जैसी या फिर बोल सकते है "Red Carpet" जैसी ! अगर आप में वोह चीज़ नहीं जो किसी को इम्प्रेस कर सके तो आपका होना न होना, किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता ! आज बहुत से चीज़ों के मायने बदल गए है , पहेले शायद लोग उतने अडवांस नहीं थे सोच उतनी बड़ी नहीं थी जीतनी आज है !

आदमी को आज आप उसके रहन सहन से , उसके सामाजिक रुतबे से , उसके पहेनावे से या फिर उसकी जी- हुजूरी से पहचानते है ! अब चाहे इन्सान वो कैसा भी हो लेकिन वोह "एक असलियत है "! अब जिसके पास ये नहीं हैजो सीधा है  वो आज कह सकते है के मामूली है अब चाहे टेलेंट हो या बोलो के इन्सान कितना भी अच्छा हो, पर वो  "एक असलियत है जो पुरानी हो चुकी "! जिसके आज कोई मायने नहीं !

आज शायद आधो से ज्यादा लोगों के ऐसे ही लोग "Role Models " है, जीनमे लोग बहुत कुछ अपनों सा खोज ते रहेते है ! और इन्सान कैसा भी हो पर आदर दिल  से और बढ़ के निकल ता है !

जीना आज के समय में उसको बोला जाता है जहाँ प्यार नहीं , फ़िक्र नहीं, कोई तकलीफ नहीं , कोई डर नहीं , कोई जिम्मेदारी नहीं , किसी सच्चाई पे झूठ और फरेब राज़ करे, यह शायद आज की जिंदगी जीने का मतलब है !

१००% परिवार में से आज जीने का मज़ा और उसका लुफ्फ्त या तोह गरीब उठा रहा है या फिर वोह  20% परिवार जो संपन्न है और आज के रहन सहन में भी कुछ मर्यादाओं में बंधे है !


पर आज की सच्चाई यहीं है ! इस से कुछ सहमत होंगे कुछ नहीं पर नज़र घुमा के देखे तो अपने ही इर्द - गिर्द कई ऐसे दीख जायेंगे !


Wednesday, 30 November 2011

SPACE---- An important word of Today's lifestyle

जिंदगी और रिश्तें अगर आज कुछ है तो बस एक शब्द है ------(  SPACE )

जहा नज़र डालो हर कोई आपको यही कहेता मिलेगा !

a) बच्चे माँ-पा से , मुझे एक अलग रूम दो क्योंकि में बड़ा हो गया हूँ  "I need some space" और फिर एक बड़ा सा भारी सा "Please" !

b) रास्तें चलतें चलतें, कुछ बातें ऐसे ही कानों में पड़ती है - "Why u asking these things, don't ask me again, I need some space in ma life " तब आप चलतें चलतें  खुद बा खुद अनुमान लगा सकते हो के, आखिर हुआ क्या होगा !

c) कुछ ऐसा ही जब आपका कोई फ़ोन न उठा पाए या आप नहीं उठाये , तब या तो आपको कोई आके यह सलाह देता है के "अबे तुने खरीद थोड़ी न लिया है उसे , Give him / her a space yaar", या फिर सामने वाला आपको वही बोलता है जो के ऊपर लिखा है !

"Space"  याने के कुछ आज़ादी, बिलकुल सही है लेनी भी चाहिए और होनी भी चाहिए, सबको अपनी ज़िन्दगी जीने का हक़ भी है और सबका अपना तरीका भी है !

लेकिन ज़िन्दगी की मीठास और रिश्तों की मजबूती जयादा "SPACE" लेने से शायद खो जाती है, अगर हमे किसी की फ़िक्र ही न हो तो, अगर हमे लगे के वोह जोह कर रहा है सही है , कोई संभल नहीं पा रहा पर फिर भी हम कुछ नहीं कहेंगे न करेंगे ! क्योंकि जहा बोलने के लिए माँगा था आज असल में शायद कही बीच में है

तो फिर बचा क्या सिर्फ नाम ! चलती ज़िन्दगी का और ज़िन्दगी को झेल ते रिश्तों का !



Thursday, 24 November 2011

Life is so simple and sweet Don't Complicate it........

ये लाइन जब याद आती है तो एक दोस्त की याद आती है ...... "आर जे - अदिति ".

उस वक़्त पुणे की रात का वो शो "पुरानी जींस " और उसका सबको यह सलाम शायद बहुत हद्द तक ज़िन्दगी के नजीद्क करने वाला होता था !

आज जब नज़र उठा के देखे तो लगता है के वास्तव में कही न कही हम सब लोगों ने हमारी ज़िन्दगी कही न कही उलझा ही रखी है ! रोज़ मर्रा  की तबाद तोड़ में रहेने वाले मेहनत करने वाले अपनी जरूरतों को पूरा करने में उलझे है, कॉलेज - स्कूल में पढने वाले या तो गीने चुने पढाई में नहीं तो कुछ आवारा गर्दी या फिर प्यार मोहब्बत में उलझे है !

और थोडा नज़र घुमा के देखे तोह कुछ ऐसे भी मिल जायेंगे जो इस जिंदगी के खतरनाक उतार चढ़ाव  में भी दूसरी उलझनों में खुद को फ़साने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ते ! उदाहरणों से भरी यह ज़िन्दगी सबको कुछ न कुछ सबक ज़रूर देती रहेती है , अपना हर रंग दिखाती रहेती है , कभी धोखा पल पल में , कभी प्यार की ऐसी बौछार करती है के इन्सान उसे  समझ नहीं पा ता !

जरूरतें इन्सान को शायद कमज़ोर बनाती है, जिस से मजबूर होके वोह हमेशा अपनी ही ज़िन्दगी मे उलझ ता रहेता है !

सादी और प्यारी सी ज़िन्दगी को अगर मासूमियत से संभल के जिया जाये तो शायद अदिति की बात एक उम्मीद तक जिंदगी जीने के तरीकें को सही साबित करे !



Wednesday, 23 November 2011

Meri Aankhen tera aaina hai...Padh sake toh padh le.....:)


Dekh kabhi  aaine mai khud ko  utha ke ek Nazar,

Fark deekhega tujhe khudd mai aur dusaron mai, magar !



Kya hai tere paas aisa joh nahi dusron mai waisa,

Sochogi maine poocha yeh tum se sawal kaisa !



Ess sawal ka jawab tu hi de sakti hai koi aur nahi,

Ulat palat ke dekh zara , agar jawab nahi mile kahi!



Tujhe abhi uss nazar mai woh fark shaayad deekhayee na de,

Yeh bhi ho sakta hai ke koi lamha tujhe koi Ehsaas hi naa de!



Rubroo ho na kabhi khudd se maan ke meri salaah,

Agar na aaye jahhan mai kuch bhi toh dekh lena meri aankhon mai ,

Aur mil jayegi  dusron se teri alag hone ki Wazaah !


Monday, 21 November 2011

Aisa kyu hota hai.....

Zindagi milti hai chand palon ke liye, Phirr se wahi udaasi chha jaati hai
Sambhalte sambhlate kuch chaar kadam chalte hai, phirr se wahi veerani raston pe aa jaati hai

Saath maangne ki guzarish aisa lagata hai maano jaise saza bann gayi ho,
Pal pal ki judaai se harr lamha zindagi jaise badal rahi ho.......

Zindagi ek tasveer kuch aisee bhi.......

अभी हालिया रिलीज़ एक फिल्म में एक सच कहा गया

                               "ज़िन्दगी में दर्द ना हो तो कोई इन्सान कामयाब नहीं हो सकता "

इस बात को कहेने में जो सार्थकता है वोह शायद कुछ लोग समझ सके होंगे और कुछ लोगों ने सुन्न के बस निकाल दिया होगा ! लेकिन ये बात कहा तक सच है वोह किसी ने उस फिल्म को देख के पता नहीं सोचा भी होगा के नहीं !

फिल्म में शिद्दत का प्यार, कहेने भर का धोखा और एक जूनून दीखाया है ! दर्द यह नहीं के किसी ने किसी और से शादी कर ली दर्द ये था के जब प्यार हुआ तब तक बहुत देर हो चुकी थी , वोह किसी और की थी और सब कुछ पता होने के बावजूद भी उसकी गुमनामी का कारण वोह खुद बन गया ! पहेले घरवालों की नफरत ने उससे तोडा जिस से वोह संगीत क्या है वोह सीखा , फिर जब प्यार का एहसास हुआ तो उसकी ललक और जब उसको पाके खोया तो टूट के फिर से अपने आप को खोजने निकला , फिर से उसका ज़िन्दगी में आना और एक दम से खुशनुमा चलती ज़िन्दगी में उसका साथ छोड़ के  चले जाना , यहाँ से दिल में जो  दर्द बड़ा वहा से वोह इतना कामयाब हुआ  के कामयाबी थी पर जो  ख़ुशी और जिसके लिए यह सब किया वहा उसका कोई नहीं था !

ऐसा ही किसी ने बहुत नरम दिल से कहा है

                                    " ये प्यार कोई खिलौना नहीं है , जो हर कोई ले  कही से खरीद "
                                    " मेरी तरह कुछ देर तड़प लो, फिर आना कुछ इस के करीब "

प्यार का दर्द शायद सबसे बड़ा दर्द होता है, लोग कहेते है के भुलाने वाला होना चाहिए सब भुला जा सकता है !

एक प्यार का दर्द सिर्फ और सिर्फ प्यार से ही भुलाया जा सकता है ! ये दर्द ऐसा दर्द है चाहे तो इन्सान को उस उचाई पे पंहुचा दे जहा से ज़िन्दगी सब के दाएरे से बहार हो पर वहा कोई साथ नहीं होगा यह एक सच्चाई है और ये दर्द चाहे तो इन्सान को बर्बाद तक करदे अगर उस में वास्तविकता ना होके सिर्फ दिखावा हो !

पर यह सच है के प्यार को समझने के लिए दर्द का होना ज़रूरी है और ज़िन्दगी में कामयाब होने के लिए उस दर्द के हर कारन को समझना ! और शायद यह समझ ये प्यार कही नहीं है ! सिर्फ महत्व कांक्षा है बस  यही है ........

Sunday, 20 November 2011

Indore- The City of Full Examples

ये इंदौर है, कुछ बिखरा बिखरा सा !

लोग तो ऐसे के उदहारण देने के लिए सबसे बेहतरीन और वस्त्विक्कता के करीब है ! कुछ आये न आये हवाई बातें करलो बस !

ओ भ्हियों ! लाजवाब तरीका वोह भी पूरी शिद्दत के साथ चिल्ला के पुकारना !

ऑटो रिक्शाव वाले तो पूरे भारत में ऐसे कहीं नहीं जैसे आपको यहाँ मिलेंगे, आपका ख्याल पूरा रखा जाता है, गाडी चलाते चलाते अगर उन्होंने आपके चेहरे को नहीं देखा तोह भाई क्या देखा !

ऐसे देखते है जैसे आपके दूर के रिश्तेंदार हो ! चाहे आगे कोई आके टकरा जाए ! ५ रुपैये के लिए खाली चले जायेंगे लेकिन मजाल किसी की के ५ रुपयें कम दे दे , बडबडाते हुए आपको घर तक छोड़ के आयेंगे और फिर चार बात सुनाते हुए आपसे वोह ५ रुपयें भी ले जायेंगे !

चलने का तरीका तोह जैसे माह श अलाहा , रोड तोह जैसे हमने खुद्द नै बनायीं है, कोई बीच में ना आये तोह ये कैसे किसी को बीच में लाना है कोई इन से सीखें !

ये तो थे ऑटो वाले, ११ नंबर की गाडी से चलने वाले तोह इन से भी महान है, उनको देख के लगता है के "गलतियां" तो  इंदौर वासियों की जिंदगी में है ही नहीं !

गाडी से चलने वाला इन को देख के कई बार सोचे के कैसे कहा से निकलू ! चलती गाडी और बीच रोड पे निडरता कैसी करनी है यहाँ के बच्चे - बूढ़े और खासतोर पे औरतों और लड़कियों को देख के पता चल जाता है !

आप सही होके भी कितनी गालियाँ खाने वाले है यह आपके जह्हन में भी कभी आया नहीं होगा !

शाम के समय चौराहों पे जो मेला लगता है वोह देखने लायक है ! चीटियों के झुण्ड की तरह हर गली से हर तरफ से न रुकने वालो का बेहिसाब कारवां देख के आपके पसीने निकल जाए !

दो पहिया वाहन  वाले तो एक दम जैसे "उड़ते काउंटर ", कब आप अपनी सही गलतियों के शिकार हो जाये आपको भी नहीं मालूम ! इतनी जल्दी जैसे कही कोई लंगर बट रहा हो ! इतनी जल्दी में तो मुंबई का माहोल भी नहीं रहेता !

प्रशासन की तो बात ही ना करे ! फुल जैम्मिंग में अमबुलंस को जाने की जगह मिले न मिले नेताजी और उनके चमचो को इज्ज़त से जाने के लिए जगह बना दी जाती है ! अब चाहे उसके लिए साम दाम दंड भेद ही क्यों न लगा दिया जाए !

कहते है के इंदौर अपने खाने के लिए बहुत फमौस है , पर यहाँ तसते किस चीज़ का है किसी को पता नहीं ! छप्पन दूकान चले जाओ तो ऐसा लगता है जैसे तबेलें में कुछ गाये और कुछ दुसरे जानवर बस चर्र रहे हो ! जहा मर्ज़ी पड़ी वह खड़े हो गए और बस "जैसा झुण्ड वैसी ही पटेल गिरी और वैसे ही तरह का खाना " !

लड़कियां तो आप पूछें ही नहीं तो जयादा अच्छा है, रात को भी चेहरे से नकाब नहीं हट ता ! कारन कोई देख लेगा तो, पोल्यूशन बहुत है, बाप रे धुल कितनी है वगेरह वगेरह ! पर मज़ा तो तब आता है जब घरवाले भी वही और.....

लड़के जैसे बॉलीवुड के बाद इंदौर में ही टशन हो, एक से बढ़ के एक कलाकार नमूने देखने को मिलेंगे ! अगर दोस्तों के साथ है तो हर बन्दा और उसका लुक "MINDblowing" !

सलमान, जॉन , शारुख, हिर्थिक यहाँ तक के हिमेश भाई भी आपको यहाँ देखने को मिल जायेंगे ! मंगल पाण्डेय , लोटिया पठान और शाकाल जैसे नामी लुक तो चिराग जला के खोजो तो "किसी कौने में अपनी पलटन के साथ फुल शूटिंग करते दीख जायेंगे "

पीने के हिसाब से भी लोग यहाँ जिंदादिल है ! लेकिन पीते कैसे है यह आप देख ले तो आपको पता चले के "STANDARD" क्या हो ता है ! मुंबई तो दाए -बाए अड़ ता भी  नहीं इन लोगो के सामने !

Rest Indore in my next Blog ......



Friday, 18 November 2011

Kisi Nazar ka saath aur dil se nikale kuch aise jazzbaat.........:)

Tere Chehre pe apni nigahon ko tika loon,
Teri kajal se lagi bindiya ko subh ka suraj bana loon,
Dhadkte tere dil se nikal ti saanson ko sene mai chupa loon,
hilatey labon ki gunngunhat ko kaano mai basa loon....
Mehfuzz rakhoo tujhe duniya ki nazaron se,
khudda bakkshe ennyat mujh pe, apne sapno se teri duniya saza du....
Musskurahat se khiltey chehre ko tere,
kabhi lagne na du kisi ki nazar,
udaas kare tujhe joh cheez ,
usme bhi khsuhiyon ke phul khila du,
bhikhare tere baalon ke saaye ko,
hansi chaandni raat ki ghata bana loon,
chehre pe chamakte tere laung ko,
assma pe uss chaand ka sitaraa bana du.....
Tere pyaar ki ek nazar se, jal rahi joh dono ki rooh hai, mere pyaar ko mila ke ek hasseen safar bana du......

Miley joh saath tera ae mere saaye, Mai........

Saath jab humsafar dega toh safar ka afsaana kuch aisa hi banyaan hoga.......

Teri mujhe zarurat hai, ess zindagi ko ek haseen yaad banane ke liye !
Mera safar shuru hota nahi, khada hu kisi chaurahe pe tera saath paane ke liye !
Milegi tu mujhe aur jab tham legi mera haath,
Raah pe bikhare thake logo ko bhi, hume dekh milega kuch hosslo ka saath!


Tere saath zindagi kuch hogi meri yun badali badali
Kaanton pe bhi chalna pada toh har dard lagega mujhe ehsaas makhmali !

Thursday, 17 November 2011

Subh ki Jogging aur fir Do Dil kya mehsus karte honge shayad yahi kuch Jazzbat hote honge..... :)

Subh ki thandak mai ek tapish si mehsus huee,
odha uss garam saaye ko jab yaad kia tumhe !

Tum neend ki aaghosh mai kahi aankh moond ke ,
Sapano ki khubsurat si mala pirotein rahe !

Thandi hawa jab aane lagi chadar ke jharokhon se,
Apni bohon ko hilate hue tum ghadi ghadi mussmussate rahe !

Kuch ess kadar durr se jab sahelaya maine thande haathon se,
Rom rom khil utha badan pe aur dekha halka sa musskurate tumhe !

Neend ki madhoshi se bhari aawaz ne mujhe pukara jab apne kareeb,
Tab wahi thandak mai mehsus kia garam saya Odha Dia tumhe !

Parindo mai jab dekha pyaar aur uska ehsaas......

I was just standing in my balcony with a cup of tea, what i saw just in front of my balcony there is another apartment in that two-three big trees was there and than story just came out from their when i saw a beautiful feelings of love......... it's not a single day observation, i was noticed them regularly from past 10-15 days......and what i feel i mentioned it like this :

Kuch kaliyan baagon mai khilne ko bekarar hai,
Nanhe se panchi gagan chhune ko teyyar hai !

Ghane dharakton ki shaakhon pe saze hue hai kayee fhul,
aur soch rahe hai kya hoga unn nanhe parindo ka aane wala kal !

Udd paayenge ke nahi yaa tez baheti hawa mai girr jayenge,
Hosala deekh toh raha hai pakka ho sakta hai shayad sambhal jayenge !

Dharakton ne apni shaakhon ko ooncha kar thoda dia sahara,
Unn mai se udd chala ek parinda, peechey rahe gaya ek bechara !

Phele ne socha kaise mai aage badh jaau,
Jab mera saathi mere saath nahi hai !

Entzaar karr rahi thi maayus bethi woh masum si chidiyan,
phela aake bola,
udd chal mere saath mujhe yaha kisi pe aitbaar nahi hai !

Dusara parinda sambhal naa paya aur uddne ke darr se peechey hatt gaya,
Uske parr majboot nahi thai,
Phele ne udd ne ki khawahish chodi aur apne parron ko dharakt ki chhaal se ragad lia !

Samay nikala dono aaram se saath saath shaakhon pe khelte rahe,
Majboot hue uss nanhi chidiyan ke parr, mann hua ke woh ab aakash mai bahe !

Lekin yeh mummkin na ho payega, dharakton ko tha yeh maloom,
Umangein assama chune ko thi betab, phela karr gaya zindagi bhar ka sukoon !

Udd chali woh nanhi chidiyan, chodd ke uss nanhe dost ka saath !
usse dekh Khush hua woh nanha parinda, Sachha pyaar kia usne gawan ke apne dono haath !




Kisi ko jab aap dil se chahe aur woh aapke aaghosh mai sukun se sau raha ho toh, shayad kuch aisa mehsus jarur hoga.....

Kal raat seene pe tu jab apna sur rakh ke sau rahi thi,
Teri saansein kuch ess tarah meri saanson ko chhu rahi thi !

Ghula hua tha tera koi sapana uss raat ki gaherayee mai,
Simat rahi tu mujhe mai, Chhupi hue ti tu musskurati meri bahon mai !

Tere chehre pe jaha ek sukoon tha wahi ek ajeeb si lakir thi,
Jab chuma tune mujhe apne makhmali hothon se,
Samajh nahi aaya ke khawab tha ke meri taqdeer thi !

Shukariya uss khalbali ka jiss se tere chahre pe woh ajeeb sa pan chhaya,
Kal uss raat ke gaheraayeeon mai bas simmta hua tha do logo ka saaya !

Soch Ek Sawaal ya Ek Jawab-------Kuch Yahi se shuru hua hoga safar.......

Kuch pal bade ajeeb hote hai,
harr lamhe mai ek dard kyu hota hai !

Soch ek sawaal kyu banti hai,

Dil harr cheez ke liye bechaen kyu hota hai !

Musskurahat ke peechein kyu koi ghum chuppa raheta hai,
Rahat ke peechein kyu kisi tadap ka saaya hota hai !

Jazzbaton se aassuon ka rishta kya hota hai,
Raat katt jaati hai phir Din ko uska entzaar kyu raheta hai !

Dhup ki kirne chaav se chidati kyu hai,
Maut ka saaya kyu Zindagi ke peechein hota hai !

Dharti -Aasma juda hoke bhi milte se deekhte kyu hai,
Apne aanchal se tutt te taarein pe kyu amber ko dard hota hai !

Dikhta shant sa sagar per uski lahero mai hulchal hoti kyu hai,
kyu Mahek uth ti hai dharti pani jab uss pe baras jata hai !

Enn sab sawalon ka shayad karan rahi hogi yeh soch,
Jawab bhi mile honge kayee, jab durr gayi hogi yeh soch !

Shayad soch ka sawal bann na behadd jaruri hai,
Aur soch se sochkar zindagi ke harr sawaal ka jawab dena Ensaan ki majboori hai !

Mera Ek Khayal Tere Liye.......Kuchh kahe raha hai

Dil mai tujhe basane ka tha bas woh Ek Khayal,
Tere kareeb leke aaya mujhe bas woh Ek Khayal !

Dekha tujhe aur phir kuch dekhne ko na raha baaki,
Zahhan ki soch pe chahdar sa lipat gaya bas woh Ek Kahyal !

Bedard tere dil ko dastak deta raha bas woh Ek Khayal,
Ghum hoke bhi khudd ko tujh mai dhundhta raha bas woh Ek Khayal!

Khayalon ki duniya mai kahi chupp ke betha sab dekh raha tha joh,
Ess nadaan dil ki gunj se utth ke bahar aaya bas woh Ek Khayal !

Tujhse apni zindagi ki kayee umeedein laga betha bas woh EK Khayal,
Phirr bhi dara - sahema apni umar ko dekh raha bas woh Ek Khayal !

Kahi kisi soch ke sagar mai uski zindagi firr se dubb na jaye,
Jis Manzil ko paane ke liye nikala tha uske liye tadap raha bas woh Ek Khayal !

Darte darte musskura raha bas woh Ek Khayal,
Kahe raha mujhse dubb bhi gaya ae dost toh,
Usko yaadon ke jungle mai mil jayega tera bas ye EK KHAYAL !