Sunday, 4 December 2011

Mai nahi Zindagi Mujhe Alvida kaheti Rahi.......

आसमा की नफ़रत सहते सहते , तारे जब टूट जाते है,
आसमा उन्हें टूटने को नहीं कहेता, वो खुद्द अलविदा कहे जाते है !

उनका दर्द भी कुछ अजीब होता होगा, तभी तो कुछ बोलते नहीं ,
बस चुप्प रहे कर बिना बोले अपने मालिक का आँगन छोड़ जाते है !

संमुन्दर चाहे कितना भी दिखे शांत, लहरें उसकी किनारे डुबो देती है,
उसकी बेचैनी को समझे न समझे कोई, किनारे अलविदा कहे जाते है !

उन् किनारों पे क्या बीती होगी, लहेरों  को कोई वास्ता उनसे रहेता नहीं,
बस किनारे उसकी तड़प पे , अपने वजूद होने का निशाँ छोड़ जाते है !

जब राह पे चलते मुसाफिर , उस हसीं सफ़र को भूल जाते है ,
रास्ते उन्हें भूलने को नहीं कहेते , वो खुद अलविदा कहे जाते है !

ज़िन्दगी से मिलते जखम से उन् राहों को भी दर्द मिलता है ,
जब एक मुसाफिर दुसरे को उन् राहों पे अकेला छोड़ जाते  है !

शराबी से पैमानों को भी कभी शिकायत होती है जब शराब उसका दिल जलाती है ,
पैमाने  जाने को नहीं कहेते  , शराबी खुद्द अलविदा कहे जाते है !

दर्द दिल में समेटे शराबी पैमानों से उलझता रहेता है ,
साकी उठ, चले जाते है, और पैमाने उस साथी का इंतजार करते रहे जाते है !

अपने से ज्यादा अपने चाहने वालो का ख्याल रखे, यही ज़िन्दगी है ,
में हूँ और यह मुझे अपना  हर पहेलु और रंग दिखाती रही!
में इसे जीता रहा हर वोह दर्द सह कर, इससे कभी शिकायत की नहीं ,
बस, में नहीं ये ज़िन्दगी मुझे लम्हा लम्हा अलविदा कहेती रही !

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