Wednesday, 7 December 2011

Zindagi Aur Rishton Ke Mayne....

आज की ज़िन्दगी  फास्ट है दौड़ती हुए, थम ने का मतलब है के आप इस  दुनिया में सबसे पीछे रहेने वाले इन्सान होंगे !

सबकी सोच आज आगे बढ़ने की है, चाहे सही हो या गलत, लेकिन अगर इस  ज़िन्दगी को कामयाबी तक ले जाना है तो रास्ते से जयादा उसपे चलने की सोच  होनी जरुरी है ! सोच होगी तो रास्ता सही है या गलत इससे ज़िन्दगी और कामयाबी दोनों को कोई मतलब नहीं !

लोगों को जब देखता हूँ अपने आस पास तो देख के लगता है के "ये लोग कामयाब होने के लिए, खुद्द से संतुष्ट होने के लिए, अपनी ज़िन्दगी को आराम दायक बना ने के लिए किसी भी हद्द तक जा सकते है " !

हर जगह कुछ न कुछ , कोई न कोई गलत कर रहा है पर उसका उसके इमान पे कोई फर्क नहीं ! मालूम होते हुए भी लोग दूसरों को अपनी कामयाबी की सीढ़ी बनाते है , कईओं को दर्द देके, दुःख देके अपना सपना पूरा करने की बस जुगत में लगे रहते है !

कुछ लोगों का कहेना होता है के फिल्म सिर्फ मनोरंजम का साधन है बस और कुछ नहीं, इन से कुछ सीखा नहीं जा सकता ! लेकिन शायद वो कहेते वक़्त यह भूल जाते है के फिल्म किसी न किसी के जीवन को दर्शाती जरुर है ! इन्सान किसी की ज़िन्दगी देख बोर ना हो यह सोच के उसमे मनोरंजन के तत्व डाले जाते है ! ऐसा ही कुछ आज के समाज को फिल्मों के कुछ समझाने की कोशिश की है  के जिसको कामयाब होना है आज की दुनिया में एक भाई अपने भाई का बुरा सोच लेता है , दोस्ती के नाम पर दगा और फरेब कदम कदम पर इन रिश्तों को खोखला साबित करते जा रहे है , प्यार का नाम आज एक महत्वकांक्षा है , जिसने  धोका, फरेब , झूठ सबकी हद्दे तोड़ डाली है !

कुछ दीनो पहेले रुपहेले पर्दे पैर एक हिंदी फिल्म आई थी , "प्यार का पंचनामा " ! कौन कैसे किसका कहा उपयोग कर रहा है , अपनी जरूरतें पूरी कर रहा है २:३० घंटे में देखने को मिला ! कौन कैसे अपनी जरुरत के लिए कहा एक को इस्तमाल करती है , कोई अपनी जिंदगी में जोह बोरियत है उसको दूर करने के लिए ताके बेचैन दिल को कुछ रहत मिले उसके लिए , कोई अपने ऑफिस में , जिंदगी में रोज़मर्रा के काम और आगे निकलने के लिए !यहाँ प्यार के अनोखे तरीके देखने को मिले और जो बात हमे ऊपर कही वोह कही ना कही सही साबित होती है !

जब कभी ऐसी बात होती है लोग बोलते है के "अरे यार फिल्म है अस्स्लियत थोड़ी ना है " ! ऐसा मैंने तब सुना जब एक जोड़ा , यह फिल्म देख के निकला और लड़की / लड़के ने बड़ी सी हंसी चेहरे पे लेते हुए अपने साथी लड़की/लड़के  से पुछा और फिर बड़े प्यार से उसके दिल का भोज हल्का कर डाला "क्या यार तुम्हे तो मुझपे इतना भी ट्रस्ट नहीं , शौना ऐसा कभी ना सोचना "! और कुछ दीनो बाद पता चलता है के .......

"बड़ा सा विराम !"

"बागबान " में जो  माँ बाप अपना सब कुछ देके , बच्चो से अपने लिए कुछ उम्मीद करते है उन्हें कही या तो बेटों की दुत्कार मिलती है कही जिसको बड़े अरमानो से लाये थे उन् बहुओं की कडवी बातें सुन्न नि पड़ती है ! माँ बाप जब तक सफलता ना मिल जाए तब तक एक सीढ़ी होते है , फिर खाली सुनसान से रास्ते बन्न जाते है , जिन्ह पे चलना आज की ऊची सोच रखने वालो को पसंद नहीं !

"लव दोस्ती etc." कैसे एक दोस्त दुसरें को धोका देता है कैसे एक प्यार फरेब की सीमा पार कर देता है !

यह कुछ फिल्मे प्यार को साथ लेके जो भी रहा हो हर उस धोके को दीखाती है जिनमे ज़िन्दगी को कामयाब बनाने के लिए, ज़िन्दगी को  कुछ आरामदायक बनाने के लिए  , एक संतुष्टि पूरी करने के लिए किये गए हर तरीके को समझाया है !

हम अपने आस पास नज़र घुमा के द्खेंगे तो हमे एक नहीं ना जाने कितने दीख जायेंगे! हमारी सोसाइटी में, हमारे ऑफिस में , हमारे क्लास रूम में , हमारे साथ जो हेमशा रहेते है उन् में !

हर जगह आज यही है इसके अलावा और कुछ देखेगा भी नहीं !

सच्चे साथ आज चाहे दोस्ती हो , प्यार हो , या परिवार कोई भी मात्र सिर्फ कहेने को मिलेंगे , कुछ ३०-३५ % बाकी तो आज सिर्फ

"लाशों पे पैर रख के , आगे बढ़ने का जमाना , सोच है ,
कामयाबी हासिल करने के लिए, किसी भी हद्द तक जा सकते है लोग  "

रिश्तों का कोई नाम नहीं है , कोई वजूद नहीं है , कोई गवाह नहीं है , ज़िन्दगी की कोई एहेमियत नहीं है , न ही ज़िन्दगी जिन एहसासों से जी जाती है वो अब आज सिर्फ मज़ाक और मनोरंजन के साधन है  !

जिंदगी और इसमे रिश्तों के आज कोई मायने नहीं ........ सब खाली है एक दौड़ है बस !


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