Monday, 5 December 2011

Wo Masum Sa Saaya......

अपनी नज़रों से, नज़रों में हमारी,  हमे गिराया  ,
हर बार दर्द देता रहा वो मासूम सा साया !

गिरते संभलते बस खुद्द को यही समझाया ,
गलत है  तू , सही है वो मासूम  सा साया !

कुछ चंद पलों के लिए ज़िन्दगी में आया ,
कई खिताबों से नवाज़ के गया , वो मासूम सा साया !

आईने से भी मेरे ज़मीर ने आज मुह छिपा लिया,
फरेबी समझ जब छोड़ गया , वो मासूम सा साया !

उस मासूमियत को खुदा रखे हमेशा बरक़रार ,
क़त्ल हुआ है आज मेरा, कल कोई और होगा तेयार  !

वो मासूम सा साया.....वो  मासूम सा साया.....
सच्चे साथ को शायद कभी तडपे, वो मासूम सा साया.....



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