दूर हुए जब तुम मुझसे ,
खो सी गई मनो हस्ती मेरी !
सर उठा के सवाल जो पूछा आसमा से,
जवाब मिला यही तकदीर थी तेरी !
क्या बिगाड़ा था उस आसमा का,
अपनी अच्छाईओं के सबूत मांगे हमने !
खुद्द की तलाश में, अपनी किताब के,
पलट दिए बीते समय के पन्नें !
सबूतों की खोज में, हाथ लगी कुछ चंद परछाईं ,
तभी वक़्त का साया चिल्ला कर बोला,
क्यों दे रहा है सबूतों की दुहाई !
आसमा ने भी गरज कर पुछा ,
में किसी का नसीब कहा बिगाड़ता हूँ !
नज़रें उठा के देख जहां में,
तेरा ही नहीं , तेरे जैसे कई लोगों का ,
अपमान सहन में करता हूँ !
एक कसक और दर्द से भरी आवाज़ ,
में भी प्यार और ममता को तरसती हूँ !
मेरे सीने पर तुम्हारी क्र्रुता के निशा है गहरे ,
फिर भी , चुप्प रह कर भार तुम्हारा वहां करती हूँ !
जरा नज़र झुका के देख मुझे,
कई बार रौंधी गयी में वो धरती हूँ !
तुम जैसे लोगों की सुनवाई पर,
पल पल की मौत में मरती हूँ !
                                     
तभी , कुदरत ने पूछा मुझसे ,
क्या अच्छाईओं के सबूत मिल गए !
लगा मुझे, मैंने कभी कुछ खोया ही नहीं था ,
इनके जवाबों से मेरे होंठ सील गए !..........मेरे होंठ सील गए !
                                           
                                   
                                  
खो सी गई मनो हस्ती मेरी !
सर उठा के सवाल जो पूछा आसमा से,
जवाब मिला यही तकदीर थी तेरी !
क्या बिगाड़ा था उस आसमा का,
अपनी अच्छाईओं के सबूत मांगे हमने !
खुद्द की तलाश में, अपनी किताब के,
पलट दिए बीते समय के पन्नें !
सबूतों की खोज में, हाथ लगी कुछ चंद परछाईं ,
तभी वक़्त का साया चिल्ला कर बोला,
क्यों दे रहा है सबूतों की दुहाई !
आसमा ने भी गरज कर पुछा ,
में किसी का नसीब कहा बिगाड़ता हूँ !
नज़रें उठा के देख जहां में,
तेरा ही नहीं , तेरे जैसे कई लोगों का ,
अपमान सहन में करता हूँ !
एक कसक और दर्द से भरी आवाज़ ,
में भी प्यार और ममता को तरसती हूँ !
मेरे सीने पर तुम्हारी क्र्रुता के निशा है गहरे ,
फिर भी , चुप्प रह कर भार तुम्हारा वहां करती हूँ !
जरा नज़र झुका के देख मुझे,
कई बार रौंधी गयी में वो धरती हूँ !
तुम जैसे लोगों की सुनवाई पर,
पल पल की मौत में मरती हूँ !
तभी , कुदरत ने पूछा मुझसे ,
क्या अच्छाईओं के सबूत मिल गए !
लगा मुझे, मैंने कभी कुछ खोया ही नहीं था ,
इनके जवाबों से मेरे होंठ सील गए !..........मेरे होंठ सील गए !

 
 
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