Sunday, 20 November 2011

Indore- The City of Full Examples

ये इंदौर है, कुछ बिखरा बिखरा सा !

लोग तो ऐसे के उदहारण देने के लिए सबसे बेहतरीन और वस्त्विक्कता के करीब है ! कुछ आये न आये हवाई बातें करलो बस !

ओ भ्हियों ! लाजवाब तरीका वोह भी पूरी शिद्दत के साथ चिल्ला के पुकारना !

ऑटो रिक्शाव वाले तो पूरे भारत में ऐसे कहीं नहीं जैसे आपको यहाँ मिलेंगे, आपका ख्याल पूरा रखा जाता है, गाडी चलाते चलाते अगर उन्होंने आपके चेहरे को नहीं देखा तोह भाई क्या देखा !

ऐसे देखते है जैसे आपके दूर के रिश्तेंदार हो ! चाहे आगे कोई आके टकरा जाए ! ५ रुपैये के लिए खाली चले जायेंगे लेकिन मजाल किसी की के ५ रुपयें कम दे दे , बडबडाते हुए आपको घर तक छोड़ के आयेंगे और फिर चार बात सुनाते हुए आपसे वोह ५ रुपयें भी ले जायेंगे !

चलने का तरीका तोह जैसे माह श अलाहा , रोड तोह जैसे हमने खुद्द नै बनायीं है, कोई बीच में ना आये तोह ये कैसे किसी को बीच में लाना है कोई इन से सीखें !

ये तो थे ऑटो वाले, ११ नंबर की गाडी से चलने वाले तोह इन से भी महान है, उनको देख के लगता है के "गलतियां" तो  इंदौर वासियों की जिंदगी में है ही नहीं !

गाडी से चलने वाला इन को देख के कई बार सोचे के कैसे कहा से निकलू ! चलती गाडी और बीच रोड पे निडरता कैसी करनी है यहाँ के बच्चे - बूढ़े और खासतोर पे औरतों और लड़कियों को देख के पता चल जाता है !

आप सही होके भी कितनी गालियाँ खाने वाले है यह आपके जह्हन में भी कभी आया नहीं होगा !

शाम के समय चौराहों पे जो मेला लगता है वोह देखने लायक है ! चीटियों के झुण्ड की तरह हर गली से हर तरफ से न रुकने वालो का बेहिसाब कारवां देख के आपके पसीने निकल जाए !

दो पहिया वाहन  वाले तो एक दम जैसे "उड़ते काउंटर ", कब आप अपनी सही गलतियों के शिकार हो जाये आपको भी नहीं मालूम ! इतनी जल्दी जैसे कही कोई लंगर बट रहा हो ! इतनी जल्दी में तो मुंबई का माहोल भी नहीं रहेता !

प्रशासन की तो बात ही ना करे ! फुल जैम्मिंग में अमबुलंस को जाने की जगह मिले न मिले नेताजी और उनके चमचो को इज्ज़त से जाने के लिए जगह बना दी जाती है ! अब चाहे उसके लिए साम दाम दंड भेद ही क्यों न लगा दिया जाए !

कहते है के इंदौर अपने खाने के लिए बहुत फमौस है , पर यहाँ तसते किस चीज़ का है किसी को पता नहीं ! छप्पन दूकान चले जाओ तो ऐसा लगता है जैसे तबेलें में कुछ गाये और कुछ दुसरे जानवर बस चर्र रहे हो ! जहा मर्ज़ी पड़ी वह खड़े हो गए और बस "जैसा झुण्ड वैसी ही पटेल गिरी और वैसे ही तरह का खाना " !

लड़कियां तो आप पूछें ही नहीं तो जयादा अच्छा है, रात को भी चेहरे से नकाब नहीं हट ता ! कारन कोई देख लेगा तो, पोल्यूशन बहुत है, बाप रे धुल कितनी है वगेरह वगेरह ! पर मज़ा तो तब आता है जब घरवाले भी वही और.....

लड़के जैसे बॉलीवुड के बाद इंदौर में ही टशन हो, एक से बढ़ के एक कलाकार नमूने देखने को मिलेंगे ! अगर दोस्तों के साथ है तो हर बन्दा और उसका लुक "MINDblowing" !

सलमान, जॉन , शारुख, हिर्थिक यहाँ तक के हिमेश भाई भी आपको यहाँ देखने को मिल जायेंगे ! मंगल पाण्डेय , लोटिया पठान और शाकाल जैसे नामी लुक तो चिराग जला के खोजो तो "किसी कौने में अपनी पलटन के साथ फुल शूटिंग करते दीख जायेंगे "

पीने के हिसाब से भी लोग यहाँ जिंदादिल है ! लेकिन पीते कैसे है यह आप देख ले तो आपको पता चले के "STANDARD" क्या हो ता है ! मुंबई तो दाए -बाए अड़ ता भी  नहीं इन लोगो के सामने !

Rest Indore in my next Blog ......



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