नूर तेरी आँखों का ,
खवाबों में आता है क्यूँ !
स्पर्श तेरी गहरी नज़रों का,
मुझे सताता है क्यूँ !
तुझसे तुझे ही सुनो तो, लगता है ,
कोई तेरे पास आना चाहता है क्यूँ !
आँखें है मेरी पर ख्वाब है तेरे ,
मेरे ख्वाब कोई चुराना चाहता है क्यूँ !
जब मेरी तकदीर है तू ,
मुझसे कोई तुझे छिनना चाहता है क्यूँ !
सवाल है जिन्दाज़ी मेरी ,
उसका जवाब बनी सिर्फ तू !
फिर दिल जवाब पाना चाहता है क्यूँ !
पैमाने पीने छोड़ दिए मैंने पर,
आसुओं का तेरा पैमाना ,दिल पीना चाहता है क्यूँ !
तेरे होंठों पर मुस्कुराहट लाना चाहता है ,
मेरी बातों से उदासी छा जाती है क्यूँ !
हर सवाल का जवाब है मेरे पास ,
लेकिन , सवाल बन के दिल में बसा है तुझसे जुड़ा हर क्यूँ !

 
 
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