Monday, 21 November 2011

Zindagi ek tasveer kuch aisee bhi.......

अभी हालिया रिलीज़ एक फिल्म में एक सच कहा गया

                               "ज़िन्दगी में दर्द ना हो तो कोई इन्सान कामयाब नहीं हो सकता "

इस बात को कहेने में जो सार्थकता है वोह शायद कुछ लोग समझ सके होंगे और कुछ लोगों ने सुन्न के बस निकाल दिया होगा ! लेकिन ये बात कहा तक सच है वोह किसी ने उस फिल्म को देख के पता नहीं सोचा भी होगा के नहीं !

फिल्म में शिद्दत का प्यार, कहेने भर का धोखा और एक जूनून दीखाया है ! दर्द यह नहीं के किसी ने किसी और से शादी कर ली दर्द ये था के जब प्यार हुआ तब तक बहुत देर हो चुकी थी , वोह किसी और की थी और सब कुछ पता होने के बावजूद भी उसकी गुमनामी का कारण वोह खुद बन गया ! पहेले घरवालों की नफरत ने उससे तोडा जिस से वोह संगीत क्या है वोह सीखा , फिर जब प्यार का एहसास हुआ तो उसकी ललक और जब उसको पाके खोया तो टूट के फिर से अपने आप को खोजने निकला , फिर से उसका ज़िन्दगी में आना और एक दम से खुशनुमा चलती ज़िन्दगी में उसका साथ छोड़ के  चले जाना , यहाँ से दिल में जो  दर्द बड़ा वहा से वोह इतना कामयाब हुआ  के कामयाबी थी पर जो  ख़ुशी और जिसके लिए यह सब किया वहा उसका कोई नहीं था !

ऐसा ही किसी ने बहुत नरम दिल से कहा है

                                    " ये प्यार कोई खिलौना नहीं है , जो हर कोई ले  कही से खरीद "
                                    " मेरी तरह कुछ देर तड़प लो, फिर आना कुछ इस के करीब "

प्यार का दर्द शायद सबसे बड़ा दर्द होता है, लोग कहेते है के भुलाने वाला होना चाहिए सब भुला जा सकता है !

एक प्यार का दर्द सिर्फ और सिर्फ प्यार से ही भुलाया जा सकता है ! ये दर्द ऐसा दर्द है चाहे तो इन्सान को उस उचाई पे पंहुचा दे जहा से ज़िन्दगी सब के दाएरे से बहार हो पर वहा कोई साथ नहीं होगा यह एक सच्चाई है और ये दर्द चाहे तो इन्सान को बर्बाद तक करदे अगर उस में वास्तविकता ना होके सिर्फ दिखावा हो !

पर यह सच है के प्यार को समझने के लिए दर्द का होना ज़रूरी है और ज़िन्दगी में कामयाब होने के लिए उस दर्द के हर कारन को समझना ! और शायद यह समझ ये प्यार कही नहीं है ! सिर्फ महत्व कांक्षा है बस  यही है ........

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