जवानी में कभी अंजाम सोचा नहीं ,
और आगाज़ का मंन बना डाला !
मेरी आखों में उसे डर कभी दिखा नहीं ,
और उसने खुद अपना रास्ता बदल डाला !
कभी कभी सोचता हूँ दर्द किसमे ज्यादा होता है ,
निफराम होके दफ़न में या जिन्दगी का बोझा ढोने मे !
जिन्दगी एक तरफ एक तरफ़ा मज़ा देती है ,
और कभी कभी खून सूखा दे,
ऐसा इम्तहाँ भी लेती है !
मौत एक बार आती है ,
लेकिन जीवन मे कई बार मात्र छू के ,
अपना साया दिखा जाती है !
सुख तो जीने में है ,
ये बात समझ आती है !
लेकिन सुकून तो रुखसत होने में है ,
इसलिए मृत्यु जिन्दगी पर हमेशा भारी होती है ! (D Guru...)
और आगाज़ का मंन बना डाला !
मेरी आखों में उसे डर कभी दिखा नहीं ,
और उसने खुद अपना रास्ता बदल डाला !
कभी कभी सोचता हूँ दर्द किसमे ज्यादा होता है ,
निफराम होके दफ़न में या जिन्दगी का बोझा ढोने मे !
जिन्दगी एक तरफ एक तरफ़ा मज़ा देती है ,
और कभी कभी खून सूखा दे,
ऐसा इम्तहाँ भी लेती है !
मौत एक बार आती है ,
लेकिन जीवन मे कई बार मात्र छू के ,
अपना साया दिखा जाती है !
सुख तो जीने में है ,
ये बात समझ आती है !
लेकिन सुकून तो रुखसत होने में है ,
इसलिए मृत्यु जिन्दगी पर हमेशा भारी होती है ! (D Guru...)
 
 
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